Thursday, May 26, 2011

बेमानी


समय के साथ
सोचा की
आज क्या नज्म
लिखू ----
कोन सा विचार
केनवास पर उकेरू ---
रास्ते की वो गरीबी
या उन्मादी
थिरकन ----
वर्तमान की सोंच-
या पुरानी
कहानी ---?
मिटटी की गंध --
या रोशनी की
बात ----?
निष्कर्ष के
करीब -----
कलम लिखती है
आज रूह की
बात करो ---
उकेरो उस
पीड़ा को जो --
कुछ भीगी -भीगी
और दमित है ----
रोज दोहन होती
है-----
मुझे
पता है ---
अल्फाज
आज फिर
बेमानी
कर गये -----?

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