Thursday, May 26, 2011

भ्रमित


तूफानी रात
तुम्हारे  केश
विचलित करते है
हम
भ्रमित है
कही पूरण मासी
का चाँद  तो नहीं ---
कही धुप में फिर
.रात क्यों
हो गयी -----

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