Tuesday, May 17, 2011

बहुत हो चुका नैतिक पतन

बहुत हो चुका नैतिक पतन
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भावनात्मक स्तर पर
बदला मै------
परिस्थितियों में आज
समग्र परिवर्तन
देखता हू -------?
हमने जब कभी
चारो तरफ देखा ----
-पाया ----?
निस्वार्थ शाशक जनक---
अर्ध वस्त्र पहने चान्यक---
व्यास -वाल्मिक जेसे साहित्यकार ---.
नारद जेसे गायक -----
शंकरा चारी जेसे साधू ----
वशिस्ठ जेसे धर्माचार्य ---
बुध जेसे तपस्वी ----
भामा शाह जेसे धनी----
फिर भी ----हम
आज ---नेतिक पतन की ओर----
नेतिक और पतन
दो व्यंजना नहीं ---मित्रो
अभिशप्त
आकार है -----
वर्तमान की सतह पर
शकुन्तला की अंगूठी
खोने का स्वांग करती हुई अनुभूति है ---
वैचारिक मंथन को विवश मन
उठान से पतन तक कितना सहज
आभासित करता है ------आसानी से तय
कर गये सफ़र को
अब और नहीं -----
खंडित हो चुकी महिमा अब
और नहीं सकारात्मक ऊर्जा के लिए
बहुत हो चुका अब
नेतिक पतन ---
अब और नहीं ---
अब और नहीं ----
रविन्द्र शुक्ल  

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