इंकलाबी नारों के बीच कही
एक नकाब में आज फिर वही
चन्दन का मुखड़ा देखा है यही ---
बंद कमरों में रोशनी की गुंजाइश
सुनी थी कभी ---
बेवजह -बेजान -बे मुरोवत
जिन्दगी के आईने में
एक अददत ---
रोशनी देखि है कही -----
लोग कहते है बहुत ----
चिरागों से रोशन होता है जहां ---
हमने तो ---तन्हाई में --
पाकीजा मंजर देखा है कही -------?
No comments:
Post a Comment