Thursday, May 26, 2011

विचार


परम बलिदानी सरदार भगत सिंह के प्रति सादर नमन
उनको समर्पित एक विचार
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जिनका स्वर्ग है इस व्यवथा के भीतर
उन्हें कहने दो कि क्रान्तिया मर गई !
तुम्हे  तो इस निर्जन महल के
बंद दरवाजो को तोड़ना ही पडेगा !
इस नरक से बाहर निकलने के लिए
तुम्हे उढानी ही होगी नफरत कि आँधी
इन वजीरो के खिलाफ ----
यदि तुम्हारी चाहत है
आजादी , न्याय , सचाई , स्वाभिमान
और सुंदरता से भरी वासंती जिन्दगी
तो फिर तुम्हे जारी करना ही होगा
नये इन्कलाब का नया फतवा ----
उन्हें करने दो इतिहास का अन्त
और विचार धारा के  अन्त की अन्त हीन बकवास
उन्हें पीने दो स्काच , विस्की ,पेप्सी और कोक्क
और झूमने दो उन्मादी धुनों पर ----
तुम गाओ
प्रकति कि लय पर जिन्दगी के विरासती गीत
तुम पसीने और खून और मिटटी और रौशनी
कि बात करो -----
तुम बगावत कि धुन रचो
क्योकि ------
तुम इतिहास के रंग मंच पर एक नये महाकाव्यात्मक नाटक कि
आधार शिला हो !-----
तुम उठो
खुली शिखा में चान्यक कि
तरह !!!!!!!!!!!

---------------------------------रविन्द्र

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